Saturday 31 December 2011


हर साल कुछ खास यादें छोड़ कर जाता है और नया साल नयी उम्मीदें लेकर आता है.यह साल बहुत खास था ,ज़िंदगी के कई उतार चढ़ाव देखने को मिले.कई खास लोगों से मिलने का मौका मिला तो कुछ खास लोगों ने अलविदा भी कहा.कई चहेरों को बदलते हुए देखा तो कुछ को सुधरते हुए भी देखा.कोई बिन बताए चला गया तो कोई बिन समझे.कुछ मुकाम हासिल किए लेकिन कई हासिल करने हैं अभी..मंज़िले अभी दूर हैं,रास्ते कठोर हैं लेकिन साथ में उम्मीद की डोर है ..मैं दुआ करता हूँ आने वाला वर्ष सबके लिए मंगलमय हो......

Tuesday 25 October 2011

याद रहेगी 18 अक्टूबर की शाम ....


18 अक्टूबर की शाम शायद मुझे हमेशा याद रहेगी.. इस दिन टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल जनसभा को संबोधित करने आ रहे थे.अरविंद जी के लिए मेरे दिल में हमेशा से बहुत इज्ज़त रही है.मेरी नज़र में वह आज के युवाओं के रोल माडल हैं.जैसे ही मुझे पता चला कि अरविंद जी लखनऊ में झूलेलाल पार्क शाम 6 बजे आ रहे हैं मैं समय से कुछ पहले अपने दोस्त के साथ वहाँ पहुँच गया.वहाँ पहुँचते ही हमने स्टेज पे मनीश सिसोदिया और कुमार विश्वास को देखा.इंतज़ार था अब अरविंद जी के आने का.
 थोड़ी देर बाद अरविंद जी के आने की खबर मिली.उन्हें देखने के लिए गेट पर ही भीड़ जुट गयी.मैं भी वहाँ पहुँच गया .लेकिन मेरी आखों के सामने अचानक एक ऐसी घटना घटी जिससे वहाँ हड़कंप मच गया. अरविंद जी जैसे ही स्टेज की तरफ बढ़े उन पर एक शख्स ने चप्पल फेकी.उसका निशाना तो चूक गया लेकिन वहाँ मौजूद कुछ युवओं ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया और पीटने लगे.तभी पुलिस और मीडिया भी वहाँ पहुँच गया और फिर शुरू हो गया पीपली लाइव.. लोग उसको पीटने कोशिश कर रहे थे,पुलिस उसे बचाने की और मीडिया उसकी बाइट लेने की.उस दिन वो नज़ारा लाइव देखा जो अभी तक टीवी पर देखा करता था. विज़ुअल्स और बाइट लेने की अफरा-तफरी पीपली लाइव फिल्म की याद दिला रहे थे. विज़ुअल्स की शेयरिंग,ओबी वैन की उपयोगिता,फोनो,पीटीसी आदि मीडिया से संबन्धित कई चीजें देंखी.
करप्शन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे व्यक्ति पर अदब और तहज़ीब वाले शहर में फेंकी गयी चप्पल ने किसी को शर्मसार किया,किसी को टी.आर.पी दिलवाई तो किसी को गाली खिलवाई. लेकिन वहाँ मौजूद लोग आने वाले कई दिनों तक ये वाक्या नहीं भूल पाएंगे.....

Saturday 3 September 2011

दिल ......

सुनने में तो शायद बहुत छोटा वर्ड है 'दिल' पर ये हमारी लाइफ का बहुत इंम्पोरटेन्ट वर्ड है.दिल के बिना तो लाइफ इंम्पौसिबल ही है.दिल ऐसा वर्ड है जिसका यूज़ लगभग हर जगह ही होता है.कोई पेप्सी पीने के लिए कहता के 'दिल मांगे मोर' तो कोई चॅाकलेट पाने के लिए कहता है कि 'दिल है कि मानता नहीं'.फिल्मों और गानों का तो दिल से अटूट रिश्ता है.फिल्मों में कभी सुनने को मिलता है -'दिल तो बच्चा है' तो कभी 'दिल तो पागल है'.हमारे आमिर खान तो दिल को इडियट भी बोलते हैं.

   अपने दिल को भले ही किसी ने देखा न हो  लेकिन आशिक तो दिल चुराने और दिल के लेन-देन की बातें किया करते हैं.दिल के साइज़ के बारे  मे पता न हो लेकिन अपनी गर्लफ्रेन्ड को दिल में बसाने की तमन्ना हर आशिक रखता है.दिल तोड़ने और जोड़ने की बातें भी खूब  चला करती हैं जैसे दिल कोई बॅाडी पार्ट नहीं कोई खिलौना हो.कुछ लोग कहते हैं कि खूबसूरत  वो है जिसका दिल साफ  है हांलांकि दिल को साफ करने का कोई क्लीनर मार्केट में अभी नहीं आया.

  कोई कहता है दिल से गाओ तो कोई बोलता है दिल की सुनो.मैं ये ही कहुंगा ..'दिल' तो है एक लेकिन इसकी परिभाषाएं हैं अनेख....



Sunday 14 August 2011

इंतज़ार 16 अगस्त का.....

15 अगस्त  को देश आज़ादी की 64वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है लेकिन इस बार लोगो को इंतज़ार है 16 अगस्त का क्योंकि 16 अगस्त से शु्रू होगी 'आज़ादी की दूसरी लड़ाई' .ये लड़ाई है 'भ्रष्टाचार से आज़ादी की'.अन्ना की टीम तैयार है फिर से अंशन के  लिए तो दूसरी तरफ सरकार  इस जन-आंदोलन को दबाने की हर संभव कोशिश कर सकती है.मीडिया की मदद से अब लगभग हर भारतीय करप्शन के खिलाफ जागरुक हो रहा है.इस आंदोलन को भारी जन-समर्थन मिलने की उम्मीद है लेकिन क्या सरकार अन्ना के अन्शन के आगे झुकेगी..? अब इंतज़ार 16 अगस्त का है......

Friday 22 July 2011

'u' ,'me' n 'f.b'

              'U','ME' N 'F.B'

   Aaj F.B word se  lagbhag har koi parichit hai .F.B bole to 'facebook'.Ek aisi social networking website jo sbke dilo may bus chuki hai.Feelings share karna ho,chatting karni ho ,dost banane ho ya sab ye cheeze ek sath krni ho to log- in hojaia facebook pe.
  
          Kitna badal gya hai zamana, pehle jo baat love letters k through hoti t wo ab onl9 chat k through hoti hai.Ab 'tapti dophar' ya 'chandni raat' ko mundare pe koi kisi ka intzaar nai krta,ab to log kisi k onl9 aane ka intzaar krte hain.onl9 aane k baad shuru hota hai baato ka silsila.Isme na kisi ki privacy may khalal aur na hi kisi ki madad ki zarurat. Zazbaat wo e hain bus communication ka tareeka badla hai.Social networking websites ab bahut logo ki zindgi ka hissa ban gyin hai.Distance relationship waalo k lia  ye ek  acha madhyam bn gyin hai aur kai logo k lia tym pass krne ka zaria b hain.Bahuto ko  iske through apne bachpan k yar wapas mil gye to kaio ko nye yaar mile..sbke k lia ek hi zumla fit  baith ta hai 'u','me' n 'f.b'