Friday 1 August 2014

धोनी मेहरबान तो हर कोई पहलवान...

             

भारतीय क्रिकेट इतिहास में जब भी ओपनर्स की बात होगी तो उस लिस्ट में सहवाग और गंभीर का नाम ज़रूर आएगा...दिल्ली के इन दोनों खिलाड़ियों का भारतीय क्रिकेट की कामयाबी में अहम स्थान रहा है... लेकिन आज दोनों ही धोनी के 'मिशन 2015' का हिस्सा नहीं हैं... टेस्ट में टीम के ओपनर्स हैं मुरली विजय और शिखर धवन तो वहीं वनडे और टी-20 में ओपनिंग की जिम्मेदारी रोहित शर्मा और धवन पर है....यानी धवन सभी फार्मेट में धोनी के पसंदीदा ओपनर हैं..फिलहाल भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर है...तमाम नाकामियों के बावजूद धोनी ने धवन पर बहुत भरोसा दिखाया है...तो वहीं मिडिल ऑर्डर में रोहित को भी मौका दिया....  सीरीज़ से पहले प्रैक्टिस मैच में गंभीर ने अर्धशतक जड़ा था...उम्मीद की जा रही थी कि इंग्लैंड के अग्निपथ को पार करने के लिए माही नॉटिंघम में मुरली विजय के साथ अनुभवी गंभीर  को उतारेंगे लेकिन धोनी ने धवन को दिया मौका..धवन फ्लॉप हुए..मैच ड्रॉ हुआ...उसके बाद लॉर्ड्स टेस्ट की बारी आई..जिसमें फिर से धोनी ने धवन को मौका दिया... धवन वहां भी फ़ेल हुए... हालांकि टीम इंडिया वो मैच जीत गई इसलिए धवन की नाकामी छुपा ली गई...लेकिन उम्मीद  थी कि  तीसरे टेस्ट में गंभीर को मौका ज़रूर मिलेगा लेकिन फिर से धोनी ने  धवन को मौका दिया...

धवन इकलौते ऐसे खिलाड़ी  नहीं है जिन पर धोनी मेहरबान हो... उनके अलावा रोहित शर्मा और रविंद्र जडेजा पर भी धोनी का ' आशिर्वाद ' रहा है...हालांकि दोनों ने बाद में काफी हद तक खुद को साबित भी किया... रोहित घरेलू क्रिकेट में भी ओपनिंग नहीं करते थे..लेकिन टीम इंडिया की तरफ से उन्हे ओपनिंग बैट्समेैन बनवा दिया गया..इसका क्रेडिट धोनी को ही जाता है..रोहित कई बार फ़ेल हुए लेकिन धोनी उन्हे खिलाते गए और आखिरकार वह टीम के ओपनर बन गए.. बुरे वक्त में खिलाड़ियों का साथ देना धोनी की सबसे खूबी है..लेकिन कभी-कभी ये खूबी खामी भी बन जाती है...धवन के मामले में तो फिलहाल   ऐसा ही होता दिख रहा है...क्योंकि धवन को बाकी खिलाड़ियों से ज्यादा मौके मिले हैं...और उनको गंभीर और सहवाग को बाहर बैठाकर टीम में रखा गया है... निजी तौर पर धोनी की कप्तानी का कायल हूं लेकिन उन खिलाड़ियों का कायल अभी तक नहीं हो पाया हूं जिनको फ्लॉप होने के बावजूद बार-बार मौके मिले..कई खिलाड़ी बेंच पर बैठे अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं... दूसरा पहेलू ये भी है कि 121 करोड़ की आबादी वाले इस देश में टैलेंट की कोई कमी नहीं..जब बड़े खिलाड़ियों के बिना टीम जीत सकती है तो इन खिलाड़ियों के बिना भी जीता जा सकता है जिन्हे फ्लॉप होने के बावजूद बार-बार मौके मिल रहे हैं...

No comments:

Post a Comment